भाग्य लिपि
गृहस्थी मनुष्य अपनी भाग्य लिपि,
नहीं पढ़ना जानता ,ना जान पाएगा ।
यदि कभी जान भी गया किसी तरह ,
तो क्या सहन कर पाएगा ।
भविष्य के घर में घटने वाली घटनाओं से,
अनभिज्ञ रहना ही श्रेयस्कर है ।
क्योंकि यदि जान गया तो क्या !
उसे बदल पाएगा ।
भाग्य और प्रारब्ध ने उसके जीवन ,
की पुस्तक में क्या लिखा है ?
अच्छा है या बुरा है जो भी है ,
अच्छा है तब तो ठीक है ,
और यदि बुरा हुआ तो !!
तो मृत्यु से पूर्व ही मर जायेगा ।
उसका साहस ,आत्मविश्वास उसका ,
साथ छोड़ देगा ।
उन उच्च आकांक्षाओं का क्या होगा ,
जो उसने भविष्य से लगाई थी?
उन अभिलाषाओं का क्या होगा ,
जी उसके मन में पल रही थी
वोह सभी सपने धराशाई हो जायेंगे ,
जो उसने अपने जीवन के लिए देखे थे ।
सब कुछ खत्म हो जाएगा ।
फिर तो अच्छा ही है अपने भविष्य से
अंजाम रहना ।
और यह भी मनुष्य के लिए ही लाभदायक है ,
जो वोह अपनी भाग्य लिपि नहीं पढ़ना जानता ।
उसे इसका प्रयास भी नहीं करना चाहिए,
उसका अपने कर्मों पर अधिकार है ,
बस कर्म करते रहना चाहिए ।
फल की इच्छा नहीं करना चाहिए ,
क्योंकि फल पर केवल ईश्वर का अधिकार है ।
और मनुष्य की भाग्य लिपि लिखने और पढ़ने का अधिकार भी ईश्वर के पास हैं।