भागम भाग
जीवन की दौड़ में ,बस है भागम भाग
बैठा हो जो शांति से ढूंढों लेकर चिराग।
आंखें बंद कर क्यों ,सोया है रे तू बंदे
मुश्किलें होंगी आसां, थोड़ा नींद से जाग।
मत समझ कि दूसरे ,सुखी है सब सारे
धोखा है ये मन का ,हर घर यहीं आग।
जीवन की मांग है, जी भर के जीया जाए
काहे तू डरें है प्राणी ,प्रभू से रख अनुराग।
जीवन की दौड़ में ,पीछे मुड़कर न देख
मेहनत कर जी भर , खुला रख दिलो-दिमाग।
सुरिंदर कौर