भाई
***** भाई *****
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मैं और मेरा भाई,
एक ही हमारी माई।
दुख या फिर कष्टी,
गले लगता है भाई।
साथ साथ है खेलें,
करते कभी लड़ाई।
बचपन का साथ,
लेते संग अंगड़ाई।
रूखी सूखी रोटी,
मिल बाँट है खाई।
बदन बेशक है दो,
है एक ही परछाई।
भाई से भी प्यारी,
लगती है भौजाई।
माँ बाप के सितारे,
नही इज्जत गवाई।
मतभेद न मनभेद,
बस यही है कमाई।
मनसीरत ना तन्हां
साथ खड़ा है भाई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)