भाई बहन
लघु कथा
भाई बहन
‘‘दीदी क्या हुआ रिपोर्ट पोजिटिव है क्या ’’ ‘‘हाँ सुषमा पोजिटिव है’’। दीदी इस बार भी लड़की हुयी तो…….’’। सुषमा की बहन डाॅक्टर निशा ने फोन पर कहा। ‘‘अभी तो मैं कुछ भी नहीं कह सकती ऐसा करो कल मेरे क्लीनिक पर आ जाओ, तब कुछ सोचते हैं’’। दीदी अभी तो चारू ही बहुत छोटी है दूसरे बच्चे का भार कैसे सँभाल पाऊंगी। ‘‘कल आओ तो सही’’। यह कह कर निशा ने फोन रख दिया था।
अगले दिन सुषमा निशा के क्लीनिक पहुची तो निशा अपने सारे मरीज़ निपटा चुकी थी वह सुषमा के ही बारे में सोच रही थी तभी सुषमा निशा के क्लीनिक में पहुंच गयी।‘‘अब क्या होगा दीदी?’’ वैसे तो इस बच्चे को जन्म ले लेना चाहिये वह चाहे लड़की हो या फिर लड़का। तुम जानती हो आज कल लिंग परीक्षण कानूनी अपराध है पर मैं सिर्फ तुम्हारे लिये ये जोखिम उठा सकती हॅं यादि तुम इस के बारे में कभी भी किसी को कुछ भी ना बताओ तब…..बच्चे के जन्म लेने तक तुम्हें अपनी जुबान बन्द रखनी पड़ेगी वरन, तुम तो जानती ही हो …इस सबका परिणाम…..। ठीक है दीदी…. कह कर सुषमा ने सहमति में अपना सिर हिला कर स्वीकृति देदी थी।
जब सुषमा को पता चला कि उसके गर्भ में तो दो बच्चे हैं एक लड़का एक लड़की तो सुषमा की खुशी का ठिकाना ना रहा। वह तो खुशी से पागल ही हो गयी थी। हे! भगवान शुक्र है एक बेटा तो दिया। उसे बेटी आने की इतनी खुशी नहीं थी जितनी बेटे के आने की थी।
गर्भ में पल रही बहन ने अपने गर्भ में पल रहे भाई को धन्यवाद देते हुये कहा‘‘भइया तुमने तो मेरी माँ के गर्भ में ही रक्षा की है यदि तुम नहीं होते तो आज मैं माँ के गर्भ में ही मार दी जाती……। थैंक्स भइया…..
आभा सक्सेना दूनवी
देहरादून