भाई बहन
रिक्त उदर निज हो भले, कैसा यह अनुराग।
भाई के हित में सदा, बहन करे परित्याग।
बहन करे परित्याग, खिलाती मुख में भोजन।
अद्भुत है यह दृश्य, सुपावन प्रेम प्रयोजन।
कहें सूर्य कविराय, करो तुम बहन की कदर।
बहन रहे यदि साथ, न रहता है रिक्त उदर।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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