भाई की गरिमा न गिराइए
चलिए एक और दिवस मनाते हैं
भाई दिवस की औपचारिकता निभाते हैं,
वैसे भी औपचारिकता निभाने में
हमें पहले से ही महारत हासिल हैं।
आज भाई का मतलब भी बदलता जा रहा है
कितने भाई आज भाई कहलाने लायक बचे हैं
भाई ही भाई के सबसे बड़े दुश्मन हो रहे हैं
भाई के रिश्ते भी आज औपचारिक हो रहे हैं,
भाई की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं।
अपवादों की आड़ में मुँह न छिपाइए
भाई का मतलब क्या होता है जनाब
इसकी तह में एक बार फिर उतर कर आइए
फिर भाई का मतलब हमको समझाइए,
हमें न भी समझाइए तो भी चलेगा
खुद ही समझकर खुद पर एहसान जताइए।
भाई का मान सम्मान गिराने के बजाय
उसका स्वाभिमान वापस लौटाइए
फिर भाई कहिए और भाई कहलाइए।
भाई मान, सम्मान, ताकत, रक्षक, आवरण
और एक मजबूत स्तंभ होता है,
इस स्तंभ की नींव को और खोखला न कीजिए
भाई दिवस मनाइए या न मनाइए
पर आप भी भाई हैं, यह तो न भूल जाइए,
भाई की गरिमा अब और न गिराइए
एक बार फिर से वास्तव में भाई बन जाइए,
भाई हैं तो इस रिश्ते की लाज भी बचाइए।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश