भाईचारा
क्यूँ बावले होरे सो समझ ल्यो दुश्मना की चाल र।
आपस कै म्हा लड़ण की थम कर दयो नै टाल र।।
पहल्याँ लड़ायै धर्म के नाम प इब लड़ावैं जात प।
गालां म्ह सर फुटैं सं म्हारै, वे मजे लेवैं बैठे छात प।
करीज टूटन देते ना लत्तां की, कष्ट सहवैं ना गात प।
आपणै फैदे की खातर लड़ाई देवैं ये दूणी बाल र।।
कड़वे बोल बोलैं और जातां नै बणकै ठेकेदार ये।
सांझ नै करैं पार्टी, दिन म्ह देवैं एक दूजे नै मार ये।
बखत पड़ै प काम ना आवैं, गरज गरज के यार ये।
दिन धौली ये आपणा दोष देवैं दूसरां प ढ़ाल र।।
आपणै स्याहमी तै नेता नै कोसण का ढ़ोंग रचैं सं।
पाछै तै हाजरी बजावैं, जा उणकै पायाँ म्ह बिछैं सं।
आपणे काम कढ़वाये पाछै शक्ल दिखाण तै बचैं सं।
हामनै फ़ँसान की खातर बिछावैं रोज जाल र।।
गुरु रणबीर सिंह के कहे तै भाईचारा बनाये राखो।
आपसी भाईचारे तै आपणा गाम देश बसाये राखो।
इन मतलबी चापलूसाँ नै मिल कै दबड़काये राखो।
सुलक्षणा कह दे स साची बात न्यू माचै बवाल र।।
©® डॉ सुलक्षणा अहलावत