भ़ष्टाचारियों को नमन 🙏
बहुत ही खाऊ है रे बाबा….. रिश्वत खाता है
खिलाओगे तो ठीक है…..बर्णा आपत्ति लगाता है
क्या बताऊं रे बाबा……. जाने कौन कौन से नियम लगाता है
न जाने कहां कहां से…..कण्डिकाएं ढूंढ लाता है
क्या बताऊं रे बाबा……. कितना भटकाता है
किसी न किसी बहाने…… फ़ाइलें दबाता है
किससे कहूं किसको सुनाऊं…… सभी तो अंधे हैं
नेटवर्क तगड़ा है…… इनके यही धंधे हैं
इसलिए चुपचाप चुका आओ… अंधों के सामने रोओ
अपनी आंखें खोओ
सभी तरफ यही खेल चल रहा है… शासन बहुत अच्छा चल रहा है
सभी भ़ष्टाचारियों को नमन 🙏
सुरेश कुमार चतुर्वेदी