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14 Feb 2024 · 1 min read

भव्य भू भारती

भव्य भूमि भव भारती,नतशिर बारंबार।
भक्ति-भाव से आरती,तेरा रहें उतार।।

भूमि भवानी भाविनी,क्षीर सुधा रसधार।
अर्पित है श्रद्धा सुमन,कुसमित कोमल हार।।

रत्नाकर धोये चरण,गिरिवर सिर श्रृंगार।
सदा नमस्ते वत्सले,करो नमन स्वीकार।।

मातृभूमि मातामही,जन्में वीर हज़ार।
अपने प्राणों से अधिक,जिसे देश से प्यार।।

भवप्रीता भू भैरवी,आर्यभूमि सुखसार।
तुझ चरणों का दास हूँ,करूँ प्राण न्यौछार।।

साधू संतों की धरा,सत्य शांति का द्वार।
चंदन माटी देश की,हो जाऊँ बलिहार।।

भारत वंदे जगतगुरु,प्रथम ज्ञान विस्तार।
जयति जयती जय भारती, गूँज रहा संसार।।

गुंजित वैदिक मंत्र से,अमर ग्रंथ का सार।
शस्य-श्यामला भारती,महिमा अपरंपार।।

भरा हुआ हर क्षेत्र में,अतुलनीय भंडार।।
कोटिक-कोटिक कंठ से,तेरी जय-जयकार।।
-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
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