भविष्य..
अपने भविष्य से अनजान खिलाड़ी,
करता आराम और मन मानी।
दिमाग में आई सोच एक दिन,
अंधकार है भविष्य वो यह जाना।
हो गया पढ़ने को रवाना,
दिमाग की चाबी खुली,
किस्मत भी साथ मिली।
यह खबर सबने है जानी,
कभी न करना मन-मानी।
©® डॉ. मुल्ला आदम अली
तिरुपति – आंध्र प्रदेश