भविष्य को देखने के लिए केवल दृष्टि नहीं गति भी चाहिए! अतीत क
भविष्य को देखने के लिए केवल दृष्टि नहीं गति भी चाहिए! अतीत को देखना सरल होता है क्योंकि वहाँ लौटना संभव नहीं केवल साक्षीभाव से देखना रह जाता है। हर व्यक्ति के अतीत में स्वप्न भले न हों बहुत से ऐसे प्रसंग रहते हैं जो अतीत को केवल प्रासंगिक नहीं बनाते, भविष्य के प्रति दृष्टि भी देते हैं।
वे हमारे बीच के साधारण लोग होते हैं, टूटे सपनों वाले पर जिंदगी से मुठभेड़ करने वाले लोग। आज के हाईवे उनकी पगडंडियों को विस्तार मात्र हैं।
हम अपनी महत्वाकांक्षा के भीगे पंखों से उडने की असफल कोशिश न करें तो समय और समाज को अपने भोगे अतीत से देने के लिए हमारे पास बहुत कुछ है। उन लोगों ने हमें आकार दिया है गढ़ा है, वे सपने दिये, जिन्हें जीना चाहते थे।
हम शब्दयात्री हैं, हमारे पास भाषा का पाथेय है तो ये दायित्व भी है कि काल के प्रवाह गुम हो चुके अपने आसपास के उन पृष्ठों की तलाश कर उन्हें सामने लायें जिस पर बैठकर हम यहाँ तक पहुँचे हैं। हमारे जज़्बात उस अतीत के गुम हो चुके दस्तावेजों की खोज मात्र हैं।