भले हो ना हो नित दीदार तेरा…
भले हो ना हो नित दीदार तेरा…
पर तेरे शब्दों के आकर्षण का जादू,
मेरे हिय को बहुत लुभाता है…
मेरी यादों में तेरी सुंदर छवि निखारकर,
मेरी भावनाओं को बहलाता है…
जो दिनचर्या का हिस्सा बनकर,
तेरे घर का पता बतलाता है…
इक बार छवि तेरी निहार लूॅं…
तो पूरा दिन सही से गुज़र जाता है।
…. अजित कर्ण ✍️