भले ही जीतने की जंग अब भी जारी है
भले ही जीतने की जंग अब भी जारी है
मगर ये हार भी देखो कभी न हारी है
गुरूर मत करो शोहरत पे अपनी तुम इतना
ये चार दिन की ही मेहमान बस तुम्हारी है
नशा तो बोलता शोहरत का सर पे यूँ चढ़ के
उतरती मुश्किलों से इसकी फिर खुमारी है
सगी हुई नहीं शोहरत कभी किसी की भी
निभाई है न किसी से भी इसने यारी है
हँसों या रोओ यहाँ ‘अर्चना’ ये है मर्ज़ी
सभी को खेलनी पर ज़िन्दगी की पारी है
10-06-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद