भर चुका मैल मन में बहुत
भर चुका मैल मन में बहुत
अवसादों की बदली छाई है
मिठास के बंध दृश्यों पर
चढ़ा है रंग कड़वाहटों का
उदासी मन में बहुत भारी है
मन की धरा पर होती, नहीं
अब बारिश न इस ओर न उस ओर
लेकिन जीवन का अनुक्रम सतत जारी है।।
भर चुका मैल मन में बहुत
अवसादों की बदली छाई है
मिठास के बंध दृश्यों पर
चढ़ा है रंग कड़वाहटों का
उदासी मन में बहुत भारी है
मन की धरा पर होती, नहीं
अब बारिश न इस ओर न उस ओर
लेकिन जीवन का अनुक्रम सतत जारी है।।