“भरोसे के काबिल कोई कैसे मिले ll
“भरोसे के काबिल कोई कैसे मिले ll
बीच समंदर में साहिल कैसे मिले ll
सबकुछ तो मिलता है पैसों से,
मगर किसी से दिल कैसे मिले ll
क़िस्मत में सिर्फ चलना लिखा हो,
उस मुसाफिर को मंजिल कैसे मिले ll
मुश्किल से मिले ख़ुशी के पल भी,
मुझे अनगिनत मुश्किल दे के मिले ll
किनसे इंसान की मैं उम्मीद करूं,
मुझे मुंसिफ ही कातिल जैसे मिले ll”