भरोसा एक अहम शक्ति
अमूमन दुनिया मे लोग भरोसा की मिसाल देते हैं , लोग कहते है हमे एक दूसरे पर भरोसा करना चाहिए । क्या वाकहि में ऐसा करना चाहिए । हम अक्सर दो लोगो पर अंधविश्वास करते हैं , जिनमे एक डॉक्टर जबकि दूसरा भगवान है । , आप जरा सोचिये ऐसा हम न चाहते हुए भी करते हैं , ऐसा नही है कि ये हमारे सगे रिस्तेदार हो ,बल्कि हमारा इनपर अंधविश्वास हमे इनसे जोड़ा करता है ।
आप जरा देखिए किसी व्यक्ति विशेष को थोड़ा सा भी शारीरिक क्लेश हो हम भागे ही डॉक्टर के पास चले जाते हैं ,नही भगवान के चरणों में एक दर्जन केला, और भी फल तथा कुछ दान चढ़ा कर सब कुछ मांग लेते हैं । जैसे वो हमारे पिता हो हम उनके लाडले बेटे हो ।
हमारा विश्वास इतना होता है कि हम सब कुछ बता देते ,झूठ , सच, ईर्ष्या, द्वद्द, दुख ,सुख सब कुछ बता देते हैं ,क्यो क्योकि ये अंधविश्वास है ।
मुझे इन दोनों पर लगभग में ही विश्वास है ,क्योकि मेरा व्यक्तिगत मानना है कि आप एक शिक्षित है ,और आप में तर्क करने की योग्यता है , आप सोच समझ, तर्क ,कुतर्क सभी कर सकते है आप अपने दुख और सुख को समझ सकते हैं आप खुद की कमी , खुद खूबियां सब कुछ जान सकते हैं तब आप क्यो परेशान हैं । जरा सोचिए गीता में श्री कृष्ण वासुदेव ने स्वयं कहाँ की सब कुछ आपका कर्म है । तब भगवान कहा से हुए । ये भरोसा हमे बचपन से दी गयी कि ,भगवान नाम का एक राजकुमार है , जो जादू दिखा कर सारे दुख दर्द कर देता है । आप जैन धर्म, बौद्ध धर्म को देखिए , नही तो चावर्क को देखिए , क्या आपको नही लगता कि इंहोनो भगवान के सामने अपनी मांगे न रखी हो , रखी होंगी ,शायद मांगते मांगते ऊब गए होंगे ।
वही दूसरी तरफ अगर हम डॉक्टरों को देखते हैं हर घर मे एक डॉक्टर है जो स्वयं में एमबीबीएस और एमडी हैं । आर्थत मेरा कहने का अर्थ आप तालाब की एक गन्दी मछली से पूरे तालाब को गंदा नही कही सकते ।
परन्तु वर्तमान प्रंसगिकता ने भी मेडिकल साइंस में एक सेंध का काम कर रही हैं , हर जगह पर हमारे भरोसे का कत्ल किया जा रहा है ।
ऐसा नही है कि यही दो क्षेत्र मेरे व्यक्तिगत दुश्मन हो, नही ।
आप भरोसा प्यार में भी करते हैं ,आप भरोसा अपने कार्य से भी करते हैं , आप भरोसा हर उस इंसान से करते हैं जो आपको अच्छा लगता है , आप भरोसा हर उस वस्तु से करते हो जिसे आप पसन्द करते हो । लेकिन कब तक करते हो ,बस उसकी एक गलती तक ।
आप किसी से अच्छे इंसान से मिलते हैं , पर उसकी अच्छाई न देखकर बुराई पर भरोसा कर उसे दूर करते हो, आप उन पर भरोसा करते हो जो कुछ वक्त के लिए सोना है परन्तु उनकी कीमत महज एक राख से भी कम है । आप सोचिये की अगर इस दुनिया मे सबसे सस्ता कोई है तो वह भरोसा है । जो सरेआम टूटता है ।
मेरे पास कई उदाहरण है , मैं अपने कॉलेज के समय अपने कैंटीन में नास्ता कर रहा था , एक कपल ने कई वर्षों के प्रेम के भरोसे को तोड़ दिया ,महज एक छोटा सा झगड़े से , आप तर्क कीजिये या तो उनमें प्यार था ही नही , या एक को अथाह प्रेम था दूसरे को सिर्फ टाइम पास ,और दोनों एक ही थाली के चट्टे बट्टे हो ।
जबकि दूसरी बात लेते हैं , एक bussiness मैन की ,जिस पर आप कतई भरोसा नही कर सकते हैं, क्योकि इन्हें हर जगह बिजिनेस दिखता है , ये इतना कसम खाते हैं कि मानो महादेव अभी पार्वती से शादी कर ले ।
मेरी ये बाते बड़ी उटपटांग है परंतु इसमें उतना ही सचाई है जैसे वासुदेव का सुदर्शन चक्र । आप देखिए जरा अपने दूरबीन जैसे आंखों से क्या आपको लोग बनिया नही दिखते हैं ,जो आपका भरोसा जीत कर ,आप ही को बेचने पर तुले हुए हैं । जरा देखिए सरकार का आपसे ही सरसो का तेल खरीद कर आप को ही 200 रुपये लीटर बेच रही हैं , तो किसका कत्ल हुआ ।।
जरा गौर कीजिए आपका ही भरोसा है ना सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भी कोविड की टीकाकरण की गलत अफवाह रुकने का नाम नही ले रही हैं । जरा सोचिए एक गरीब आदमी जब एक छोटे से भूमि के टुकड़े कब विवाद में फंसता है तो वह न्यायालय, लेखपाल,कानूनगो, और थाना प्रभारी ,पुलिस के भरोसे का कोपभाजन नही बनता , क्या उसके भरोसे का कत्ल नही किया जाता है । एक अजीब रस्म है दुनिया की जब आपका भरोसा तोड़ा जाता है तो आप स कहा जाता है आप धैर्य रखिये सब मंगल होगा । अर्थात धैर्य का नाम देकर मामला ही सिमटा दिया जाता है । जैसे किसी का दिल टूटा हो और उसे ये कह कर सात्वना दी जाए जाने दो मित्र वो तुम्हारे किस्मत में नही था , भूल जाओ तुम मानो तुम राधा ,वो कृष्ण ,हो और तुम दोनों का मिलन नही हो सकता है ।बस बेहूदा बाते कर उसके भरोसे को बिजली की तरह तार तार किया जाता है ।
क्या भरोसा इतना सस्ता है , तब तो हमे करना ही नही चाहिए , बस अपना अपना देखो । जैसे शहर में कहावत है अपनी खिड़की और अपनी लडक़ी दोनों कमाल की है । बाकी दुनिया से क्या लेना देना । ऐसा ही चलता रहा तो मानवता ,नैतिकता सब खत्म हो जाएगी ,हमे कभी कभी शिक्षित होने से ज्यादा अनपढ़ भी होना चाहिए । क्यो क्योकि साहेब पढ़े लिखे तर्क करेंगे ,लेकिन अनपढ़ भरोसा करेगा , और भरोसा से बड़ा कोई नही ।
अक्सर गाँव मे सभी माता पिता अपने बच्चो की परवरिश करते समय उनमें एक ऐसे संस्कार को विकसित करते हैं ,जो उनके पूर्वजों का नाम रोशन करता हो ।और होना भी चाहिए ।
वस्तुतः हमे हर किसी पर भरोसा नही करना चाहिए ,स्थिति ,परिस्थिति के अनुसार उनमें तर्क कुतर्क भी करना चाहिए ,और पूरे तन मन और धन के साथ उस व्यक्ति का साथ देना चाहिए ।