*भरा हुआ सबके हृदयों में, सबके ही प्रति प्यार हो (गीत)*
भरा हुआ सबके हृदयों में, सबके ही प्रति प्यार हो (गीत)
________________________
भरा हुआ सबके हृदयों में, सबके ही प्रति प्यार हो
1
भाई-भाई और बहन-भाई में नेह बढ़ाना
पिता-पुत्र पत्नी-पति की गुत्थी उलझी सुलझाना
जीते सदा पड़ोसी, उसके आगे अपनी हार हो
2
वाणी सदा मधुर ही बोले, ऐसी सीख सिखाना
मन को कपट और छल से, हे ईश्वर! रहित बनाना
अपनेपन का हर प्राणी में, भीतर तक विस्तार हो
3
चिड़ियों के मधु गान जगत में, हमको सदा लुभाऍं
मानव क्या पशु तक भी हमसे,निर्भय हो बतिआऍं
उतरे जो भी नौका जल में, वही नदी के पार हो
भरा हुआ सबके हृदयों में, सबके ही प्रति प्यार हो
________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451