भरा ये जीवन खुशी गमों से।
ग़ज़ल
121…..22…..121….22
भरा ये जीवन खुशी गमों से।
हँसी न पाओगे मयकदों से।
यही रहें कोशिशें हमारी,
कि प्रेम गंगा बहे दिलों से ।
वतन परस्ती जँबाज जाने,
नहीं है उम्मीद बुजदिलों से।
है सबके अंदर वहीं मिलेगा,
नहीं है हासिल वो मंदिरों से।
तु प्यार से जीत ले जहां को,
नहीं मिलेगा वो नफ़रतों से।
ये चांद सूरज से कम नहीं हैं,
जहां है रोशन ये बेटियों से।
ये प्यार प्रेमी है एक सरिता,
नहीं रुका है ये बंदिशों से।
……..✍️ प्रेमी