भरत मिलाप
चित्र मंथन
दृश्य -भरत मिलाप
#कुंडलियां #छंद
कर रावण वध राम ने, किया लंक प्रस्थान।
तिलक विभीषण का किया, दिया उचित सम्मान।।
दिया उचित सम्मान,राज पद देकर उनको।
किया उच्च अति काम, बड़ा कद देकर उनको।।
कहै अटल कविराय,समय का है ये चक्कर।
किया मही उद्धार,राम ने वध रावण कर।।
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कौशल्या सुत आ गये,सुना भरत संदेश।
दौड़ पड़े बिन पादुका,धारे वसन विशेष।।
धारे वसन विशेष, नहीं तन पर कुछ पहना।
पहने वल्कल वस्त्र ,छोड़ दौड़े सब गहना।।
कहै अटल कविराय,राम-हरि तन हैं अच्युत।
अक्षत चंदन संग,लगाये कौशल्या सुत।।
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पद प्रक्षालन राम का, करें भरत सर नाय।
हर्षित सब नर-नार हैं, दर्शन हरि के पाय।।
दर्शन हरि के पाय, देवगण दिखते हर्षित।
लखकर भरत मिलाप, पुष्प बरसाये अनगित।।
कहै अटल कविराय, करें सब हरि अभिवादन।
चंदन तिलक लगाय, भरत कर पद प्रक्षालन ।।
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विनती करते राम से,भरत जोड़ कर हाथ।
पद -प्रक्षालन वारि को, स्वयं लगाते माथ।।
स्वयं लगाते माथ, करें जल का छिड़कावा।
हरी भक्ति में लीन ,करें नहिं कोई दिखावा।।
कहै अटल कविराय ,अश्रु नयनों से झरते।
शीघ्र संभालो राज,राम से विनती करते।।
जय सियाराम!
🙏अटल मुरादाबादी 🙏
९६५०२९११०८