भय
जब एक अजन्मी बेटी ने अपने स्वागत में गलियां गलियां खाई
एकाएक घर में होने लगी लड़ाई
तब एक सुकोमल ने अपने हृदय पर पत्थर रख लिया
सोचा पितृ गोद में खेलने का आज अवसर मिल गया
किन्तु घृणित दृष्टि से सम्पूर्ण ब्रह्मांड हिल गया
तब एक अभागी ने अपने हृदय पर पत्थर रख लिया
जमाने के भेड़ियों ने सहसा उसे शिकार बनाया
बेदर्द दुनिया ने शिकार पर जब इल्जाम लगाया
तब एक असहाय ने अपने हृदय पर पत्थर रख लिया
सोचा सृष्टि के पन्नों में लिखूँ अपना नाम !
“सुख सुविधा” ले कर आना प्राप्त हुआ पैगाम
तब एक याचिका ने अपने हृदय पर पत्थर रख लिया
और जब बनी वो ‘माँ’ प्रसव कक्ष में लेटी है
भयसंलिप्त है, घृत प्रभावित, क्यूं कि गोद में उसके बेटी है
गर्वित उस सहमी ममता ने अपने हृदय पर पत्थर रख लिया ।।