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4 Oct 2021 · 1 min read

भयातुर मन

मैं हँस नहीं सकता
भयभीत हूँ हँसी के दैत्यपना से.।
मैं रो नहीं सकता
सरक्षित हूँ जबतक नहीं रोया।
हँसा तो
छीन लेगा दैत्य
जाग्रत स्वप्न की
मेरी खुशियाँ।
रोया तो
अस्तित्व ही
कर देंगे तार–तार मेरा
ऊँचाईयों पर चढ़े लोग।
————————–

Language: Hindi
416 Views
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