भयभीत होकर
भयभीत होकर लिखते हो भय खा कर रहते हो । भयभीत होकर के तुम हमेशा जिंदगी जीते रहते हो। झूठे यस गानों से अपना नाम रोशन करते रहते हो। परिचय कैसे देते हो और कैसे परिचय लेते हो। सच्चाई से हमेशा डरते रहते हो अपराधियों के बीच में तुम हमेशा लाश बनकर रहते हो। लेकिन सब जीवो के तुम सरताज बनते रहते हो। अपनी पहचान बनाने को हमेशा लाइन में लगे रहते हो। क्या कर्म है आपका क्या धर्म है आपका बस इसी उलझन में हमेशा लगे रहते हो।