भदन मे उनके अंगारे दहकने लगे है
दोस्तो एक ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों की नज़र,,,!!!
ग़ज़ल
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बदन मे अंगारे उनके दहकने लगे है
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बे’सबब रिश्ते आज चटकने लगे है,
कदम बातो बातो मे बहकने लगे है।
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खातिर दौलत के हम से इस तरहा,
देखो लोग दूर -दूर खिसकने लगे है।
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कैसे कहें वो आज हमारे अजीज है,
नज़र मे जब उनकी खटकने लगे है।
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चंद खुशियों से रोशन जब हुऐ हम,
बदन मे अंगारे उनके दहकने लगे है।
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हिस्से की मुहब्बत वो पाकर हमारी,
हाथ हमारा ही अब झटकने लगे है।
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भूख से बिलकते सारे भेड़िये “जैदि”
दश्त-सहरा मे आज भटकने लगे है।
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शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”