भट सिमर वाली
भट सिमर वाली मोन पड़ै ,
खेतक बाटे सऽ घर ऐलै ।
घोघ उठेलै, ठोढ़ दबेलै,
आँगनक फूल बुझ मुरझैलै।
सड़ल-गिलान माटिक रस्ता,
धूरसँ भयल सब परस्ता।
ककरा कहबै, की बुझेलै,
सुख-दुखक पाथे हँसि खेलै।
धार-घाटक कथा सुनाबै,
ककरो नहि किछु त’ कहबै।
गाछ त’ फेरो फल-फुलेलै,
भट सिमर, उहां फेर गेलै।
—-श्रीहर्ष—