भटकन
ओ !
दुनिया के प्रथम प्रेम
ढूँढ़ना चाहती हूँ
तेरे अवशेषों को
महसूसना चाहती हूँ
तेरी रुमानियत को।
किस खंडहर में कैद है
किस सिला पर अंकित है
तेरी प्रथम प्रेम कहानी बोलो
किस बूझ या अबूझ
भाषा और लिपि में मिलेगी
तेरी झलक, तेरी निशानी ?
मुद्दत्तों से
बस तेरी
बस तेरी ही तलाश में
भटक रही हूँ भग्नावशेषों में।
©️ रानी सिंह