भज ले राम-राम,जय राम
सत्ता ने है छला अभी तक,
नया नहीं कुछ भाई।
कभी धूल को फूल बनाया,
कभी अचल को राई।
किसने हमको कब-कब लूटा,
कैसे हाय,बतायें
नहीं दूध का धोया कोई,
हैं सारे हरजाई।
अब तो हारे को हरि नाम
भज ले राम-राम,जय राम।
कोई कहता उसे चुनेंगे ,
कोई कहता इसको।
वही धुनेगा तुमको प्यारे,
चाहे चुन ले जिसको।
युग को अगर बदलना चाहो,
सोच बदल लो अपनी
राष्ट्रवाद हो सबसे ऊपर,
चुनना केवल उसको।
वरना कोई न आये काम
भज ले राम-राम,जय राम।
रणभेरी बज उठी साथियों,
वक्त आ गया अपना।
सोच-समझ मतदान करो तो
पूरा होगा सपना।
गेहूँ की फसलें गदहों को,
चरा रहे जो निशदिन
ऐसे गद्दारों की माला,
नहीं भूलकर जपना।
वरना होगा काम तमाम
भज ले राम-राम,जय राम।
-वसंत जमशेदपुरी,9334805484