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26 Mar 2017 · 1 min read

भजन (ग़ज़ल)

“”””””” ग़ज़ल “””””””‘”
तुम्हारा प्यार प्यारा है,जो मेरे दिल को भाता है ।
उसी के ही सहारे से, ग़ुजरता वक्त जाता है । ।
दिल-ए-नादाँ मैं तुझको अब,चलूँ ले दूर ख्व़ाबों से,
हकीकत-ए-आईना मुझको बहुत अब रास आता है।
किसी की है मज़ाल क्या,जो रोके राह-ए-उल्फ़त को,
इसी उल्फ़त प’ या रब तू फ़िदा होता ही जाता है । ।
उसे मैं कैसे छोड़ूँगा ,जो तुझसे ही मिला देगा ,
है ऐंसा नाम इक तेरा ,जुड़ा उससे जो नाता है । ।
इब़ादत और परस्तिस की,मुझे तरक़ीब न आती है,
बदन में अब मह़क तेरी,औ’ दिल में तू समाता है । ।
रूह़-ओ-जाँ में है शामिल,ख़ुलूस-ओ-बाँकपन तेरा,
सुना मुरली-मघुर मोहन ,सितम क्यों मुझप’ ढाता है ।।
कहूँ क्या मैं तुझे ‘ईश्वर’,अज़ब है,तू गज़ब भी है ,
हिफ़ाजत करने बन्दों की,तेरा ही तो अहाता है ।।
-ईश्वर दयाल गोस्वामी
ग्राम+ पोस्ट-छिरारी ,
तहसील-रहली.
जिला-सागर. ।
(मध्य-प्रदेश)
पिन-कोड -४७०-२२७
संपर्क-अंक -८४६३८८४९२७

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