भजन- कावड़ लेने आया
भजन- कावड़ लेने आया
कावड़ लेने आया, शंभू कर बेड़ा पार।
सुन लो विनती मेरी, आया हूँ मैं हरि द्वार।।
आकर बाबा तेरे द्वारे , कावड़ एक उठाऊँगा।
हर की पौड़ी बाबा मैं फिर, डुबकी एक लगाऊँगा।
गंगा जल का अमृत चख , हो जाए बेड़ा पार।
सुन लो विनती मेरी, आया हूँ मैं हरि द्वार।।
पैदल नंगे पाँव मैं बाबा, कावड़ तेरी लाऊँगा।
लाकर अपने मन्दिर के मैं,शिखर पे उसे चढ़ाऊगा।
गंगा जल की शिव लिंग पर, बाबा मैं बाँधू धार।
सुन लो विनती मेरी , आया हूँ मैं हरि द्वार।।
भजन लिखे अरविंद बाबा के, जोर-जोर से गाऊँगा।
ले आशीष मैं मात -पिता का, उनके पैर दबाऊंगा।
कावड़ को समझूँगा भोला , कर दो बेड़ा पार।
सुन लो विनती मेरी, आया हूँ मैं हरि द्वार।।
© अरविंद भारद्वाज