भगवान बचाओं
भगवान बचाओं ….
देखो कलयुग ऐसा आया ,
भगवानों का भी घर है बनाया ,
इससे काम नहीं चला तो
उसमे ताला भी लगवाया ….
भगवान तो कण -कण में विद्यमान
फिर क्यों मंदिर ही एक स्थान ?
प्रातः ५ से ८ बजे तक
मिलते है भगवान …..
ये है भगवान की मर्जी !
या कुछ लोगों का स्वाँग !
भगवान के नाम पर ,
चलाते अपनी दुकान …
कोई समझाए धर्म के ठेकेदारों को ,
भगवान नहीं जागीर किसी की …
वे सबके और सब उनकी संतान. ..