भगवान भी रंग बदल रहा है
सच्च कहें आज इंसान ही नहीं
सुनो भगवान भी रंग बदल रहा है
पहले मिल जाता था
कभी पहाड़ों पर, कभी जंगलों में
मगर आज बड़े-बड़े
देवालयों में भी नहीं मिल रहा है
सुनो भगवान भी रंग बदल रहा है
कभी मिल जाता था
किसी दीन को, किसी निर्धन को
मगर आज क्या कहें
कोई भी ह्रदय नहीं खिल रहा है
सुनो भगवान भी रंग बदल रहा है
कभी मिल जाता था
याद कर लेने, या पुकार लेने से
मगर आज क्यों भला
भजन,कीर्तन से नहीं मिल रहा है
सुनो भगवान भी रंग बदल रहा है
कभी मिल जाता था
सुनसान राहों में अंजान राही को
मगर आज क्या हुआ
कुंभ, महाकुंभ में नहीं मिल रहा है
‘V9द’ भगवान भी रंग बदल रहा है