भगवान और भारत (मधुमालती, मनमोहन छंद)
भगवान और भारत
मधुमालती छंद
7/7=14 मात्राएँ
अंत 212
भगवान की, चर्चा करो ।
बस पाप से,हरदम डरो
मजधार में, नैया पडी
है सामने, अंतिम घड़ी।
अब छोड़ दो, संसार को ।
भज लो सिया, सरकार को ।
वे कामना पूरी करें।
वे ध्यान भी, तेरा धरें
उनको कभी, मत भूलना।
अभिमान में, मत झूलना।
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मनमोहन छंद
8/6 पर यति
अंत में तीन लघु
मेरा भारत, देश सबल
चलता हरदम,सँभल सँभल ।
सबसे आगे, सदा निडर ।
नहीं ताकता, इधर उधर ।
शीश हिमालय, श्वेत धवल ।
चरण पखारे,जलधि विमल।
जो भी आवे,झुकत शरण ।
करते उसका,तरण वरण ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
24/12/22