भगत सिंह ; जेल डायरी
फाँसी लगने से बीस दिन पहले भाई कुलबीर सिंह के नाम भगत सिंह का अंतिम पत्र –
सेंट्रल जेल, लाहौर
3 मार्च, 1931
प्रिय कुलबीर सिंह,
भगत सिंह अपने भाई को पत्र में लिखते हैं – तुमने मेरे लिए बहुत कुछ किया। मुलाकात के समय तुमने अपने खत के जवाब में कुछ लिख देने के लिए कहा था। कुछ शब्द लिख दूँ। देख, मैंने किसी के लिए कुछ नहीं किया। तुम्हारे लिए भी कुछ न कर सका। आज तुम सबको विपदाओं में छोड़कर जा रहा हूँ। तुम्हारी जिंदगी का क्या होगा? गुजर किस तरह करोगे? विपदाओं से न घबराना, इसके सिवाय और क्या कह सकता हूँ! अमेरिका जा सकते तो बहुत अच्छा होता, लेकिन अब तो ये नामुमकिन जान पड़ता है। धीरे धीरे हिम्मत से पढ़ लो। अगर कोई काम सिख सको तो बेहतर होगा, लेकिन सब कुछ पिताजी के सलाह से करना। जहाँ तक हो सके, प्यार मोहब्बत से रहना। इसके सिवाय और क्या कहूँ? जानता हूँ की आज तुम्हारे दिल में गम का समुद्र ठाठें मार रहा है। तुम्हारे बारे में सोचकर मेरी आँखों में आंसू आ रहे हैं, लेकिन क्या किया जा सकता है? हौसला रख मेरे अजीज, मेरे प्यारे भाई, जिंदगी बड़ी बेरहम है, लोग भी बड़े बेरहम हैं। सिर्फ हिम्मत और प्यार से ही गुजारा हो सकेगा। कुलतार की पढाई की चिंता भी तुम्हे करनी है। बहुत शर्म आती है और अफसोस के सिवाय मैं कर भी क्या सकता हूँ? साथ वाला खत हिंदी हिंदी में लिखा है। खत बी. के. की बहन को दे देना। अच्छा नमस्कार, अजीज भाई, अलविदा।
तुम्हारा शुभाकांक्षी
भगत सिंह
गौरी तिवारी ,भागलपुर बिहार