भगत सिंह (गीत)
भगत सिंह (गीत)
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चोला जिसने रँगा बसंती बारंबार प्रणाम है
(1)
क्रांतिवीर था वह सशस्त्र संघर्षों का अनुयाई
दहल गई थी गोरी सत्ता पकड़ न जिसको पाई
हत्यारा सांडर्स गया था जिसके हाथों मारा
बदला लेने चला शूर ले आँखों में अंगारा
वह पर्याय शौर्य का अद्भुत साहस जिसका नाम है
चोला जिसने रँगा बसंती बारंबार प्रणाम है
(2)
बम विस्फोट किया जिसने संसद के बहरे कानों में
यह था रक्त-प्रवाह गूँजता पिस्तौलों के गानों में
डरे नहीं संदेश सुनाया भारत है अब जागा
बाँध बोरिया – बिस्तर सचमुच गोरा शासन भागा
नमन उम्र तेईस वर्ष में फाँसी जो अभिराम है
चोला जिसने रँगा बसंती बारंबार प्रणाम है
(3)
भगत सिंह का मतलब वीरों वाले हिंदुस्तान का
भगत सिंह का मतलब किस्सा यौवन के बलिदान का
भगत सिंह का मतलब बम से निकले भीषण शोर का
भगत सिंह का मतलब बल से निकली उजली भोर का
भगत सिंह का मतलब केसरिया-प्रवाह अविराम है
चोला जिसने रँगा बसंती बारंबार प्रणाम है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451