भगत सिंह का प्यार था देश
धरती का वह लाल
जो हो गया बेमिसाल,
अपने शब्दों से जिसने
फूँक दिया देश में ,
आजादी की क्रांति का अंगार।
नाम भगत सिंह था उनका।
सिंह की तरह था उनका दहाड़।
जब उन्होंने देश की आजादी ,
के लिए भरा था हुंकार ।
देश के हर नवजवानों के
मन भर दिया फोलादी अंगार ।
देश भक्ति का वह योद्धा जो ,
महान समाजिक समरसता का प्रतीक थे।
वह वीरता और साहस का
एक अद्भुत मिश्रण थे ।
जिसने देश को एक नई
राह दिखाई थी ।
आजादी ही सब कुछ हैं यह बतलाई थी।
इंकलाब जिंदाबाद का नारा
जिसने देश को दिया ।
और उस नारे से आजादी के लिए ,
देश के मन में अंग्रेजों
के विरुद्ध एक आक्रोश भरा दिया था।
डर रहा था अंग्रेंज भी
उनकी वीरता व साहस को देख,
वह हर समय अंग्रेंजो के
आँखो में खटक रहे थे।
क्योंकि वह अंग्रेजो को चैन से
शासन करने न दे रहे थे।
देश के लिए वह क्रांति का लाल
बन रहे थे ।
अंग्रेजों के अत्याचार को
वह सह नहीं पा रहे थे।
देश अंग्रेंजो के गुलाम रहें
यह बात उन्हें स्वीकार न था ।
इसलिए वह दिन – रात
आजादी के लिए काम कर रहे थे।
इस क्रम में उन्होंने 8 अप्रैल
1929
को दिल्ली असेम्बली
में बम फेंका था ।
जिसमें वें अग्रेजों के हाथों पकड़े गए,
और अंग्रेजों ने उनको
फाँसी की सजा सुनाई।
देश का वह आँखों का तारा,
जब फाँसी चढ़ने जा रहा था।
चेहरे पर कोई डर नहीं था।
पर मन में उस समय भी
देश के लिए प्यार उमर रहा था।
उनकी बलिदान पर
वतन का सीना गर्व से फूल गया था।
आसमान भी उस दिन आकर
धरती पर झुक गया था ,
और उनकी बलिदानी पर
वह भी अपना सितारा लुटा रहा था।
जब उस वीर का खून
धरती को चूम रहा था।
धरती भी आँचल पसारे,
अपने बेटे को मीच रही थी।
गर्व हे तुम पर हमें
ऐसा उनके कानों में
धीरे से आकर बोल रही थी।
युगों – युगों मे ऐसा लाल
कभी – कभी ही आता हैं।
जो अपना प्यार सिर्फ़
वतन को ही बनाता हैं,
और वतन के लिए अपना
हँसते-हँसते जान लुटा देता है ।
– अनामिका