भगतसिंह और अंबेडकर
मैं इंकलाब का शाहीन हूं तो
मोहब्बत का हूं फाख्ता!
ना तो मजहब से रिश्ता मेरा
ना ही सियासत से वास्ता!!
भगतसिंह और अंबेडकर के
बीच से होकर जाता है!
मेरी ज़िंदगी और मौत का
चुना हुआ हर रास्ता!!
मैं इंकलाब का शाहीन हूं तो
मोहब्बत का हूं फाख्ता!
ना तो मजहब से रिश्ता मेरा
ना ही सियासत से वास्ता!!
भगतसिंह और अंबेडकर के
बीच से होकर जाता है!
मेरी ज़िंदगी और मौत का
चुना हुआ हर रास्ता!!