Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2024 · 1 min read

भक्त जन कभी अपना जीवन

भक्त जन कभी अपना जीवन, व्यर्थ नहीं खोते हैं।
उनका कर्म वही है जिससे, प्रभु प्रसन्न होते हैं।।

जब तक मन बलवान जगत से, नाता कभी न टूटे।
मन पर करें नियंत्रण तो ही, लोभ-मोह सब छूटे।।
साधक भजन रात-दिन करते, जागृत रह सोते हैं।
भक्त जन कभी अपना जीवन, व्यर्थ नहीं खोते हैं।।

मन अतीव चंचल है वश में, सहज नहीं आता है।
यह माया के वशीभूत हो, भव में भटकाता है ।।
भक्ति-सिंधु में नित्य लगाते, साधक गण गोते हैं।
भक्त जन कभी अपना जीवन, व्यर्थ नहीं खोते हैं।।

सत्संगति-कीर्तन-भजन से, मन होता है वश में।
गुरु की कृपा मदद पहुॅंचाती, बढ़ती होती यश में।।
जो करते हरि भजन निरन्तर, वे न कभी रोते हैं।
भक्त जन कभी अपना जीवन, व्यर्थ नहीं खोते हैं।।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
Tag: गीत
141 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महेश चन्द्र त्रिपाठी
View all
You may also like:
वह आवाज
वह आवाज
Otteri Selvakumar
दो अक्टूबर - दो देश के लाल
दो अक्टूबर - दो देश के लाल
Rj Anand Prajapati
।।
।।
*प्रणय*
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Neeraj Agarwal
हसदेव बचाना है
हसदेव बचाना है
Jugesh Banjare
फूल
फूल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जब पीड़ा से मन फटता है
जब पीड़ा से मन फटता है
पूर्वार्थ
चार यार
चार यार
Bodhisatva kastooriya
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
Anil Mishra Prahari
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
Kshma Urmila
बेशक संघ ने काम अच्छा किया है, आगे भी करेगा।
बेशक संघ ने काम अच्छा किया है, आगे भी करेगा।
Ajit Kumar "Karn"
दिल दिमाग़ के खेल में
दिल दिमाग़ के खेल में
Sonam Puneet Dubey
छल छल छलका आँख से,
छल छल छलका आँख से,
sushil sarna
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
*प्रभो हमें दो वह साहस हम, विजय दुष्ट पर पाऍं (गीत)*
*प्रभो हमें दो वह साहस हम, विजय दुष्ट पर पाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
बचपन याद बहुत आता है
बचपन याद बहुत आता है
VINOD CHAUHAN
शाम के ढलते
शाम के ढलते
manjula chauhan
ऐ सावन अब आ जाना
ऐ सावन अब आ जाना
Saraswati Bajpai
Acrostic Poem
Acrostic Poem
jayanth kaweeshwar
तहजीब राखिए !
तहजीब राखिए !
साहित्य गौरव
عيشُ عشرت کے مکاں
عيشُ عشرت کے مکاں
अरशद रसूल बदायूंनी
" कल से करेंगे "
Ranjeet kumar patre
लू गर्मी में चलना, आफ़त लगता है।
लू गर्मी में चलना, आफ़त लगता है।
सत्य कुमार प्रेमी
श्रध्दा हो तुम ...
श्रध्दा हो तुम ...
Manisha Wandhare
"आज का दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
आपकी याद जब नहीं है तो क्यूं,
Dr fauzia Naseem shad
" बढ़ चले देखो सयाने "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
4940.*पूर्णिका*
4940.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक दो गाना संस्कृत में
एक दो गाना संस्कृत में
मधुसूदन गौतम
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
शांति वन से बापू बोले, होकर आहत हे राम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...