Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Dec 2022 · 2 min read

भक्त गोरा कुम्हार

श्रीज्ञानेश्वर के संकालीन भक्तो में उम्र में सबसे बड़े गोरा जी कुम्हार थे। इनका जन्म तेरढोकी स्थानमे संवत् १३२४ में हुआ था। इन्हें सब लोग ‘चाचा’ कहा करते थे। ये बड़े विरक्त दृढनिश्चय, ज्ञानी तथा प्रेमी भक्त थे। भगवन्नाम में तल्लीन होना इनका ऐसा था कि एक बार इनका एक नन्हा बच्चा इनके उन्मत्त नृत्यमे पैरों तले कुचल कर मर गया, पर इन्हें इसकी कुछ भी सुध न थी। इससे चिड़कर इनकी सहधर्मिणी सती ने इनसे कहा कि ‘अब आज से आप मुझे स्पर्श न करें।’ तब से इन्होंने उन्हें स्पर्श करना सदा के लिये त्याग ही दिया। इनकी पत्नी को बड़ा पश्चात्ताप हुआ और बड़ी चिन्ता हुई कि ‘इन्हें पुत्र कैसे हो और कैसे वंश चले।’ इसलिये उन्होंने अपनी बहिन रामी से इनका विवाह करा दिया। विवाह के अवसर पर श्वशुर ने इन्हें उपदेश किया कि दोनों बहिनों के साथ एक-सा व्यवहार करना। बस, इन्होंने नव-विवाहिता को भी स्पर्श न करने का निश्चय कर लिया। एक रात को दोनों बहनों ने इनके दोनों हाथ पकड़-कर अपने शरीर पर रक्खे। इन्होंने अपने उन दोनो हाथों को पापी समझकर काट दिया इस तरह की कई बाते इनके बारे मे प्रसिद्ध है। काशी आदि की यात्राओं से लोटते हुए श्रीज्ञानेश्वर, नामदेवजी आदि भक्त इनके यहाँ ठहर गये थे। सब भक्त एक साथ बैठे हुए थे। पास ही कुम्हार की एक थापी पड़ी हुई थी। उस पर संत मुक्ताबाई की दृष्टि पड़ी। उन्होने पूछा, ‘चाचाजी यह क्या चीज है?” गोराजी ने उत्तर दिया, “यह थापी
है, इससे मिट्टी के घड़े ठोंककर यह देखा जाता है कि कौन सा घड़ा कच्चा है और कौन पका। मुक्ताबाईं ने कहा हम मनुष्य भी तो घड़े की तरह ही है, इससे क्या हम लोगों की भी कच्चाई-पकाई मालूम हो सकती है?” गोरा जी ने कहा, ‘हाँ, हाँ, क्यों नहीं।’ यह कहकर उन्होंने थापी उठायी और एक एक भक्त के सर पर थपकर देखने लगे। दूसरे भक्त तो यह कौतुक देखने लगे, पर नामदेवजी को यह अच्छा नहीं लगा । उन्हें यह भक्तों का और अपना अपमान जान पड़ा । गोरा जी थपते-थपते जब नामदेवजी के पास आये तो इनको बहुत बुरा लगा। गोरा जी ने इनके भी सिर पर थापी थपी और बोले—भक्तों में यह घड़ा कच्चा है और नामदेवजी से कहने लगे ‘नामदेव तुम भक्त हो, पर अभी तुम्हारा अहंकार नहीं गया। जब तक गुरु की शरण मे नहीं जाओगे, तब तक ऐसे ही कच्चे रहोगे।’ नामदेवजी को बढ़ा दुख हुआ। वे जब पंढरपुर लौट आये, तब उन्होंने श्री विठ्ठल से अपना दुःख निवेदन किया । भगवान् ने उनसे कहा—गोरा जी का यह कहना तो सच है कि श्रीगुरु की शरण में जब तक नहीं जाओगे, तब तक कच्चे रहोगे। हम तो तुम्हारे साथ सदा ही है, पर तुम्हें किसी मनुष्य देहधारी महा पुरुष को गुरु मानकर उनके सामने नत होना होगा, उनके चरणों मे अपना अहंकार लीन करना होगा। भगवान् के आदेश के अनुसार नामदेव जी ने श्रीविसोबा खेचर को गुरु माना और गुरूपदेश ग्रहण किया।
इस प्रकार गोराजी कुम्हार बढ़े अनुभवी, ज्ञानी, भक्त थे।

||जय श्रीराम||🙏🏻

1 Like · 672 Views

You may also like these posts

हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
हमेशा आंखों के समुद्र ही बहाओगे
डॉ. दीपक बवेजा
चाहत
चाहत
surenderpal vaidya
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
4862.*पूर्णिका*
4862.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुझे मालूम हैं ये रिश्तों की लकीरें
मुझे मालूम हैं ये रिश्तों की लकीरें
VINOD CHAUHAN
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
Neeraj Agarwal
10 अस्तित्व
10 अस्तित्व
Lalni Bhardwaj
और हो जाती
और हो जाती
Arvind trivedi
*भारत माता को किया, किसने लहूलुहान (कुंडलिया)*
*भारत माता को किया, किसने लहूलुहान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
राख देह की पांव पसारे
राख देह की पांव पसारे
Suryakant Dwivedi
*होठ  नहीं  नशीले जाम है*
*होठ नहीं नशीले जाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"अभिलाषा"
Dr. Kishan tandon kranti
- नींद न आए -
- नींद न आए -
bharat gehlot
प्यार ही ईश्वर है
प्यार ही ईश्वर है
Rambali Mishra
प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा
Mahender Singh
बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों
बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों
Shweta Soni
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
Priya princess panwar
सच तो ये भी है
सच तो ये भी है
शेखर सिंह
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
बहुत खूबसूरत है मोहब्बत ,
बहुत खूबसूरत है मोहब्बत ,
Ranjeet kumar patre
दिल
दिल
हिमांशु Kulshrestha
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
सिर्फ विकट परिस्थितियों का सामना
Anil Mishra Prahari
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
"धन-दौलत" इंसान को इंसान से दूर करवाता है!
Ajit Kumar "Karn"
*तेरा इंतजार*
*तेरा इंतजार*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आप अपनी नज़र से
आप अपनी नज़र से
Dr fauzia Naseem shad
सफल हस्ती
सफल हस्ती
Praveen Sain
जिस दिन
जिस दिन
Santosh Shrivastava
भारत
भारत
Shashi Mahajan
उन माताओं-बहिनों का मंहगाई सहित GST भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता,
उन माताओं-बहिनों का मंहगाई सहित GST भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता,
*प्रणय*
Loading...