भक्ति गीत
वन्दना–
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हरो हमारी सदैव आरति,विनीत मन से खड़े हुए हैं।
कृपा करो हे कृपा निधाना,शरण तुम्हारे पड़े हुए हैं।।00।।
सकल जगत के तुम्हीं सहारे।
हिले न पत्ता बिना तुम्हारे।
तुम्हीं खिलाते कुसुम-कली को-
सुभग बना दिन सभी हमारे।।
तुम्हीं जगत के परम नियन्ता,तुम्हीं प्रकृति के नियम जड़े हैं।
हरो हमारी सदैव आरति,विनीत मन से खड़े हुए हैं।।1।।
रहा अलौकिक स्वरूप तेरा।
पवित हृदय में करे बसेरा।
सदा सुपथ पर तुम्हीं चलाते-
मिटा अभेदक तमस घनेरा।।
सदा करेंगे सुभक्ति तेरी,भले नियम तव कड़े हुए हैं।
हरो हमारी सदैव आरति,विनीत मन से खड़े हुए हैं।।2।।
सुनाम तेरे विविध यहाँ पर।
नहीं जगह, तू न हो जहाँ पर।
रहीम तू ही बना कन्हैया-
जहाँ पुकारें मिले वहाँ पर।।
समक्ष लीला दिखा रहे हो,यही समझते बड़े हुए हैं।
हरो हमारी सदैव आरति,विनित मन से खड़े हुए हैं।।3।।
**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**