-भक्ति , अन्धभक्ति व चमचागिरी का खुमार,-
-भक्ति , अन्धभक्ति व चमचागिरी का खुमार,-
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में आजकल यह तीन शब्दो का इस्तेमाल (प्रयोग) जोर छोर से हो रहा है ,
कोई यहा किसी का भक्त है तो कोई किसी को भगवान मानता है,
कोई किसी की अन्धभक्ति में मशगूल है तो कोई अंध श्रद्धा में ग्रस्त है,
कोई किसी की चमचागिरी कर रहा है तो किसी के सिर पर चमचागिरी का खुमार परवान पर है,
सब अपनी -अपनी राजनीतिक पार्टियों के पक्षधर है ,
मजे की बात व अन्धभक्ति , अंध श्रद्धा, चमचागिरी का आलम यह है कि दो व्यक्ति आपस में बात कर रहे है दोनों की किसी भी पार्टी से कोई सम्बन्ध व किसी पार्टी से कोई पद व
प्रतिष्ठा नही होने पर भी फिजूल में एक दूसरे के राजनीतिक विचारों का परस्पर खंडन करते है व एक दूसरे पर आक्षेप लगाते है,
आलम देखिए चुनावो में ऐसी स्थिति होती है वो उनका वाकयुद्ध (जुबानी जंग ) जो आराम से वार्तालाप से शुरू होकर के भयंकर लड़ाई में तब्दील हो जाता है,
कभी -कभी तो मनमुटाव की स्थिति होती है ,
वाकयुद्ध में हालत बिगड़ने पर एक दूसरे पर आरोप लगाते लगाते और एक दूसरे पर हमला भी कर देते है,
जिसका परिणाम यह होता है कि एक अपनी जिंदगी खो देता है व दूसरे की जिंदगी खराब हो जाती है ,
जिसने एक को मारा उस दूसरे को जेल हो जाती है इस प्रकार उसका जीवन बर्बाद हो जाता है,
जब चुनाव में एक पार्टी की जीत होती है और दूसरे की हार होती है जो सम्भवत है ही राजनीति एक जुहे कि तरह है,
इसमे एक कि हार व दूसरे की जीत निश्चित है ,
इसमे भी जीतने वाली पार्टी के कार्यकर्ता या प्रचारक या पिछगल्लू कह दे तो भी कोई अतिशयोक्ति नही होगी,
वे हारने वाले पार्टी की जो व्यक्ति चुनाव से पहले वाकयुद्ध छिड़ा था उसे चिढ़ाते है उसे अपशब्द कहते है,
यह लोकतंत्र का अपमान है सविधान की गरिमा को ठेस पहुचती है इस कृत्य से,
लोकतंत्र मे जनता सर्वोपरि है, जनता जनार्दन है,
राजनेताओं को चाहिए कि देश की जनता को धर्म, सम्पदाय , जाति , वर्ग ,क्षेत्र में न बाटकर सभी को समान दृष्टि से देखे व जनता की सेवा करे ,
देश की जनता की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझे , उनके सुख दुःख में सहभागी बने ,
उनके दुःख में अपनी राजनैतिक रोटियां न सेके व साम्प्रदायिकता को बढ़ावा न देकर साम्प्रदायिक सदभाव की भावना रखते हुए देश की जनता के नागरिक को बांटने का कुत्सित प्रयास न करे व किसी भी प्राकतिक आपदा, विषाणु जनित रोग , ,वैश्विक संघर्ष ,जैसी आपदा में अवसर को न तलाशे व राजनीति न करे,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –