ब ढ़ ते चलो
एक हाथी था जब भी वह गांव या शहर की गलियों से गुजरा करता , तो कुते पीछे से उसे बहुत भोंका करते थे । हाथी में साहस व बल की भी कोई कमी नहीं थी। पर फिर भी वह चुप चाप आगे निकल जाता । पता है क्यों ? क्योंकि वह जानता था कि यह केवल भोंक सकता है बाकी कुछ नहीं कर सकता। लेकिन यदि मैं इसके साथ लडूंगा तो मैं पीछे रह जाऊंगा। इसके बाद वह आगे चला तो कुछ अच्छे लोग उसे देवता के रूप में पूजने लगे , वह सोच में पड़ गया कि यदि वह इन सब का सत्कार प्राप्त करने लगा तो फिर से पीछे रह जाएगा । हाथी आगे बढ़ ता रहा और लोग उसे पूजते रहे । हाथी ने सत्कार इसलिए ग्रहण नहीं किया , क्योंकि वह अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहता था और उसे वहां रुक कर अपना समय खराब नहीं करना था
हम मनुष्यों के साथ भी ऐसा ही होता है , हमें कोई बुरा भला कहता है तो हम उस से लडने में समय खराब करते हैं और यदि कोई हमारी तारीफ कर दे तो अहंकार से युक्त हो जाते हैं।