बढ़े चलो बढ़े चलो…
बढ़े चलो बढ़े चलो वीर तुम बढ़े चलो,
यह घड़ी इम्तिहान की यह सीख ले चलो,
हो रहा जो बचाने जीवन का संघर्ष,
फिर से आएंगे दिन भरे हुए हर्ष,
अभी खड़े होना लेकर सबको साथ,
छूट न पाए किसी गरीब का हाथ,
धन्य है वीर जो कर रहे निस्वार्थ सेवा,
परहित को ही समझते जीवन की मेवा,
देखो धर्म कर्म पर टिकी है माँ धरती,
अपनी संतानों का वह सदा पेट भरती,
फिर से होगी खुशियों की नव भौर,
संकट का भी यह टल जाएगा दौर,
बढ़े चलो बढ़े चलो वीर तुम बढ़े चलो,
यह घड़ी इम्तिहान की यह सीख ले चलो,