बढ़ते वीर सैनिक
मनहरण घनाक्षरी – बढ़ते वीर सैनिक
सर पे कफ़न बाँधे, हाथ में बंदूक ताने।
बढ़ते वीर सैनिक,आतंक को मारने।
भगत भी कहते थे,शेखर भी कहते थे।
दुश्मनों का सारा नशा, लगे है उतारने।
धरती भी कहती हैं, गगन भी कहता हैं।
अब तो हवा चली है,लगी है पुकारने।
देश के सीमा में डटे,मेरे वीर जवानों ने।
पल पल बढ़े आगे,पापी को संहारने।~~~~~~~◆◆◆◆◆◆~~~~~~
रचनाकार – डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822