बढ़ती मन की दूरियाँ, कैसे आयें पास
बढ़ती मन की दूरियाँ, कैसे आयें पास
रिश्तों को तो बांधता, है मन का विश्वास
बातों को देते रहें, भावों का आधार
भावहीन संवाद तो, हैं शब्दों का भार
आँखों से छिपते नहीं, हैं मन के अहसास
रिश्तों को तो बांधता, है मन का विश्वास
होती रहनी चाहिए, थोड़ी सी तकरार
नोंक झोंक की दूरियाँ, और बढ़ाती प्यार
सम्बन्धों में पर रहे, मीठी वही मिठास
रिश्तों को तो बांधता, है मन का विश्वास
डॉ अर्चना गुप्ता