बड़े कौन- पत्नी या मित्र ?
एक कथा कहीं से लाया हूँ, सुनिए जरा….
श्री सुदामा घर आये हुए थे श्रीकृष्ण के।
तब घर के अंदर श्रीमती रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण से भावश: प्रश्न की-
‘अगर आपको मित्र और पत्नी में किसी एक को चुनने हों, तो किसे चुनेंगे?’
श्रीकृष्ण ने कुटिल मुस्कान बिखेरे-
‘पत्नी तो सोना (स्वर्ण) होती है और मित्र हीरा । सोना टूटकर भी जुड़ सकता है, किन्तु हीरा टूटने के बाद जुटता नहीं, बिखरता है । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को हीरे की पहचान कर उसे बिखरने से बचाने चाहिए!’
उत्तर सुनकर श्रीमती रुक्मिणी भी मुस्कराई, तो श्रीसुदामा भी। श्रीकृष्ण तो कुटिल मुस्कान बिखेरे तो थे ही !