ब्रेक-अप
ब्रेक-अप
शहर के टाऊन-पार्क में बैठी अमनी अपने प्रेमी विजय से कह रही थी।
कब तक हम यूं छिप-छिप कर मिलते रहेंगे? हम शादी क्यों नहीं कर लेते?
विजय ने कहा शादी तो भूल जा। हमारी जातियाँ अलग-अलग हैं। तुम्हारी जाति हमारी जाति से बहुत ऊंची है। हमारी शादी कभी नहीं हो सकती।
अपनी बोली शादी में जाति आड़े आ गई। अब तक बाकि जो होता रहा। उसमें जाति आड़े क्यों नहीं आई?
यह कहकर अपनी ब्रेक-अप करके चलने लगी। तो विजय ने उसका हाथ थामकर कहा, “पगली मैं तुमसे मज़ाक भी नहीं कर सकता क्या?”
चल आज इसी समय शादी करते हैं। बताते हैं एक नया संसार। जाति-पांति सहित तमाम संकीर्ण दायरों को करके अलविदा।
-विनोद सिल्ला