ब्राह्मण गुरु हैं।
ब्राह्मण
गुरु होने का अधिकार मात्र और मात्र ब्राह्मण को ही है अन्य को नही।
सनातन काल से यही ब्यवस्था और परम्परा रही है जिसे बदलने से समाज मे विकृति आ सकती है।
जैसे #भैस गाय से ज्यादा दूध देती है लेकिन पूजा #गाय की होती है भैंस की नही, अगर किसी शुभ कार्य के लिए निकलते वक्त 20 लीटर दूध देने वाली भैंस और 2 पाव दूध देने वाली गाय सामने आ जाय तो किसका सगुन मानेंगे भैंस का या गाय का ?
गाय को ही सगुनवन्त माना जाता है भैंस को नही, चाहे वह कितनी भी उपयोगी हो इसी प्रकार ब्राह्मण ही एक मात्र गुरु बनने का और ब्यास पीठ पर बैठने का अधिकारी है।
ब्राह्मण भी मात्र जाती से नही बल्कि गुण से भी वह ब्राह्मण होना चाहिए ।
जो #त्रिकाल_संध्या करता हो ,#संयम,#नियम,और #तापर्सचर्या युक्त जीवन जीता हो वही वास्तव में #ब्राह्मण कहलाने का अधिकारी है और वही गुरुत्व प्राप्त करने का और ब्यास पीठ को सुशोभित करने का अधिकारी है कोई अन्य नही।ऐसे ब्राह्मण का अपमान करने वाले का पतन निश्चितश्यम्भावी हो जाता है।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••