ब्रह्म प्रकाश
सूर्य नही था, चंद्र नही था
दुनिया मे कोई बंद नही था
ना थी रोशनी ना था अंधेरा
ना थी रात और ना ही सवेरा
ना धरती थी ना था आकाश
तब भी था वह ब्रह्म प्रकाश||
जीव नही थे, जन्तु नही थे
पेड़ नही थे तंतु नही थे
ना था समय, ना थी बेला
ना कोई सूनापन, ना ही मेला
ब्राह्मांड मा जब ना था विकाश
तब भी था वह, ब्रह्म प्रकाश||
असुर नही थे, देव नही थे
राजा नही थे, सेव नही थे
ना थी अज्ञानता, ना था ज्ञान
ना जीवन था, न थे प्राण
ना कुछ खोना, ना पाने की आस
तब भी था वह ब्रह्म प्रकाश||