ब्रह्म तत्व है या पदार्थ या फिर दोनों..?
ब्रह्म, तत्व(पदार्थ) भी है और विचार भी है। ब्रह्म तत्व के रूप में दृश्य ब्रह्मांड में समाया हुआ है और विचार रूप में अदृश्य ब्रह्मांड एवं ब्रह्मांड से परे स्थित है।
ब्रह्मांड के निर्माण से पहले भी ब्रह्म, तत्व और विचार रूप में स्थित था। विचार रूप में स्थित होने के कारण ही तत्व रूप से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ। अगर केवल तत्व रूप में ही होता तो बगैर विचार के ब्रह्माण्ड का निर्माण असम्भव था क्योंकि पहले निर्माण का विचार आया और फिर तत्व से निर्माण प्रारंभ हुआ। जीवों की पदार्थों की जटिल सरंचना को देखकर और उनकी क्रिया प्रणाली को जानकर हर कोई यह कह सकता है कि यह सब योजनाबद्ध है, विकृत नहीं है सुसंकृत है।
अगर ब्रह्म केवल तत्व रूप में होता तो तत्व की सीमा होती है, स्थिति होती है, गुण होता है अर्थात ब्रह्म की भी सीमाएं होती जो नहीं हैं। जबकि विचार की कोई सीमा नहीं होती, कोई गुण नहीं होता, कोई स्थिति नहीं बस वह होता है अंनत, अपरिमेय। इसी प्रकार ब्रह्म है जो अनंत है अपरिमेय है। ब्रह्मांड के अंदर भी है और बाहर भी है। ब्रह्मांड के बाहर भी स्थान है तभी वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि यह ब्रह्मांड फैल रहा है। क्वांटम कणों से भी यही सिध्द होता है कि ब्रह्मांड तत्व भी है विचार अर्थात तरंग भी है क्योंकि जब क्वांटम कणों को देखते हैं तो वो पदार्थ के रूप में व्यवहार करते हैं और जब उनको नहीं देखते तो वो पदार्थ एवं तरंग के रूप में व्यवहार करते हैं।