ब्रह्मांड की आवाज
ब्रह्मांड की आवाज
———————–
शोरगुल ही शोरगुल, मचा है हर तरफ
आवाज नहीं हैं ऐसी ,जगह किस तरफ।।1।।
देती सुनाई हैं, आवाजें हर तरफ
मन को कहा बांधू, बताओ किस तरफ।।2।।
कोई आके कहे की, आवाज नहीं इस तरफ
सन्नाटे में भी आवाजें, सुनी हैं मैंने हर तरफ।।3।।
नहीं होती सन्नाटे में आवाज, कहे सब तरफ
कहूं मैं सन्नाटा ही एक आवाज, है हर तरफ।।4।।
विश्वास नहीं है मुझ पे, तो पूछो चारो तरफ
अभ्यास ब्रह्मांड का करो, और जानो हर तरफ।।5।।
ध्वनि सुनने मिलती, ब्रह्मांड में सब तरफ
बस क्षमता हो सुनने , आत्मा में हर तरफ।।6।।
साधु संत पीर फकीर यहीं बताएं चारो तरफ
काबिल बनो सुनने आवाज, गूंज रही हैं हर तरफ।।7।।
मंदार गांगल “मानस”