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10 Jun 2018 · 1 min read

ब्रजमहिमा

?? पुनीत छंद ??
?विधान – १५ मात्रा प्रति चरण, चार चरण,
दो-दो समतुकांत, चरणान्त २२१
??????????

बंसी बजा रहे गोपाल।
बैरन बनी सौतिया ताल।।
घर के सिगरे छूटे काज।
मोहन आय न तोहे लाज।।

अधरन सोहे कैसे भाग?
जा सौतन में लागै आग।।
भूली सुध-बुध सखि री आज।
‘तेज’ निगोड़ी की आवाज।।

आज मिले हरि यमुना तीर।
भरने जब हम जातीं नीर।।
मग रोकत है बाँका श्याम।
लागत है सखि सुख का धाम।।

मनमोही छवि ब्रज का भूप।
मन मन्दिर में बसता रूप।।
बाँकी चितवन तीखे नैन।
छीन रहे हैं उर का चैन।।

सुन-सुन मधुरिम मुरली राग।
सुर-नर मुनि के जागें भाग।।
जब सन्मुख हों परमानन्द।
पाते हैं अद्भुत आनन्द।।

??????????
?तेज✏मथुरा✍?

Language: Hindi
1 Like · 405 Views

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